नज़र भर देख लिया छुपकर उनको  ,                                      पर लबों की बात बस लबों मे दबी सी रह गई है।
एक धुंध की देरी दी आने की बस ,                                          हर कोई आंखों से ओझल गया।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,                                  दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
अब लिखने के लिए शब्द भी है
अब तो बदल लूं खुद को ये कहा हो सकता,                            बस हर दिन खुद को ही दोस्त बना ,                                      अब उससे अपनी ही बात कहता।।
जाने वो कैसी होगी उस पार की दुनियां,                             सतरंगी होगी अतरंगी होगी या होगी वो भी चाह की दुनियां।।
आंसू देख ले ना मेरे कोई शब्दों के जाल मे,                                  आंसू को सुखा कर कलम की स्याही बनाएं जा रहा।।
आंखों मे आंसू तो छुपा लेता हूं दिन मे,                                    पर ये रात को दर्द भुलाऊं तो भुलाऊं कहा।।
ये राखी फिर रुलायेगी,                                                        फिर मेरी याद लौट आयेगी।।
आसार मेरे ये तो जमाने के लिऐ है,                                         कुछ अल्फाज उनको सुनाने के लिए है।।
तुम भी छोड़ गये.......... मेरे हालत देखकर
कसम ना टूटे तेरा साथ ना छूटे,                                             तेरी खुशियां मेरे से फिर ना टूटे।।
याद नहीं यादें नही तुम तो हर पल पास यहीं,                            जब रहूं तन्हा उस घड़ी बस साथ तुम्ही।।
ना भुला ना दूर हूं एक बार आंखे बंद कर सोच तो सही,                            पास ही पाओगे जब भी सोचोगे मे मै रहू या ना रहूं।।
मैं वो कहानी हुं ...........                                                   किसी की अधूरी मोहब्बत और आंसुओ की जुबानी हूं,                 पुरी होते होते रह जो गई मैं वो अधूरी कहानी हूं..!!
तुम को तुम नहीं हम करने को दिल करता,                                 बस तुम्हें प्यार और प्यार करने को दिल करता ।।
अगर प्यार नहीं तो सच बता, मेरी याद मे,                                 तेरे हाथ से ये प्याला क्यू छलकता है ।।
बहुत उदास है कोई तेरे चुप हो जाने से ,                                   हो सके तो बात कर किसी बहाने से.
आसान नहीं होता खुद से बांते करना,                                                      यूं हर एक बात ख़ुद से ही करना।।
जब खुद को चोट लगती हैं,                                                     तब अहसास दर्द का होता है।।
नाराज़ खुद से हूँ, तुमसे कोई गिला कोई बात नहीं,                   वक़्त बदलता गया पर कमबख़्त ये मेरे हालात नहीं।