दिल कहीं थम सा जाता है.
होती है करनी बहुत बात, पर कहीं......
उनकी ही बातों पे ये दिल खो जाता है.
छुप छुप के नजरे उनसे मिलती ,
उनके सामने होने के बाद भी ।
प्यार का इजहार करने को दिल करता तो बहुत
लेकिन ये बहुत शर्माता ...
हर पल एक मुलाकात के इंतजार में,
दिनों दिन निकाल लेता हूं,
जब वह दूर से भी दिख जाती तो ,
दिल खुशी से भर जाता .........
हर बार जब कभी सामने आते वो ,
और हो जाता जब समय जाने का,
तो खुदा हाफिज तो बोल देते पर,
कुछ पल के लिए दिल वही ठहर जाता है।
माना कोई रिस्ता ऐसा नहीं सायद ,
जो दुनिया को बता सके लेकिन ,
जो है वो इन रिस्तों से ऊपर कहीं आता ।
शब्दों मे सायद ही कह सकू इस रिश्ते के बारे में,
हाँ लेकिन ये पता है ये रिस्ता मुझे खुद से मिलता.
है ?वो कुछ ऐसा पहेली जैसा ये अपना रिश्ता अपना
जो सुलझ के फ़िर से कही ना कहीं उलझ जाता ।
पर फिर भी इन उलझनों मे ,
कुछ अलग ही मजा आता।
शुक्रिया हे राधे कृष्ण आपका,
उन्हें मुझसे मिलाने के लिए,
उनके दिल मे, मेरे लिए जगह बनाने के लिए।
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