वक़्त बे वक़्त तुझे याद करना

हाँ अच्छा नहीं मुझे पता है हर वक़्त बेवक्त तुझे याद करते रहना,आदत ये मेरी सही नहीं ये भी हाँ मुझे पता. 

पर क्या करू जब मन थोड़ा सा भी खुश होता तो याद आ जाती आप, 
जब कहीं लगता कि अकेला सा हो रहा तो आ जाती याद आप, 
हाँ जब लगता कोई तो हो साथी मेरा भी तो सबसे पहले आती याद आप. 
याद ही उसकी ऐसे की सब कुछ भुला देती, हाँ उस पागल की मुस्कान ही ऐसे की हर खुशी को बड़ा देती. 
जब मन होता उदास तो एक पल मे ख़ुशी बड़ा देती याद तेरी. 
जब देखता हूं उसकी तस्वीर तो लगता कि बस देखते रहूं, और तस्वीर भी उसकी ऐसे की लगता करती हो बात. 

हाँ बेशक वो साथ नहीं दूर है पर फिर भी साथ है मेरे. 
24 घंटे मे मिला उसके एक भी पल मुस्कान है मेरी. 

जिस्म का प्यार हो सायद वक़्त के साथ कम हो जाता, पर प्यार अगर रूह से हो तो वक़्त के साथ बढ़ता जाता. 

प्यार अगर उम्मीदों का हो तो शायद उम्मीद पूरी होने के साथ कम हो जाता लेकिन प्यार जब बिना मांग का हो तो फिर कहा रुक पाता. 
हाँ पता है वक़्त बेवक्त याद करना ठीक नहीं फिर भी मन कहा रुक पता. 


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