कैसे खुद को अब समझाऊं कैसे.?

सीधा सा इंसान ना जाने क्यु प्यार किया मुझे उसने,
खूबी ना हैसियत फिर भी सब वार दिया उसने.

कभी सोचा नहीं थे वो सपने क्यु दिए मुझे, 
जो हो ना सकते थे पूरे वो वादे क्यु किए मुझे. 

कभी कोई आया ही नहीं था आप जैसा, 
अब यूँ बदल जाने पे जी सकू कैसे.?? 

हाँ लायक तो नहीं आपके status के, 
पर खुद को अब समझाए कैसे.?? 

कुछ बचा नहीं अब मेरी जिन्दगी में, 
तो फिर जिएं कैसे.?? 

दिन निकल जाता जैसे तैसे काम मे,
ये रात को बिन रोये कांटे कैसे.?? 

मुस्किल हो रहा है खुद से भी लड़ना ,
तो तुमसे बात करो के लिए लड़ें कैसे.?? 

हर रात खुली आँखों से कट रहीं, 
ईन आँखों को सुलाऊं कैसे.?? 

बस अब सो जाना चाहता हूं एक आखिरी नींद, 
पर उस नींद के लिए हिम्मत जुटाऊँ  कैसे.?? 

ना प्यार है मेरी जिन्दगी मे, 
ना यार मेरी जिन्दगी मे. 

घर तो है पर वो  अब बहार  नहीं दिल मे, 
 आती थी खुशी आप से पर रहते हो दूर दूर मुझसे. 

हर वक्त मेरी हालत देख दिल मे रोती तो मेरी माँ बहुत. 
पर मेरे बस मैं कुछ नहीं उसे समझाऊं कैसे.? 

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