ख्वाब की कहानी हकीकत बन गए

एक रोज़ आया एक ख्वाब, दिल और रूह को मिला गया.
जिसे ख्वाबों मे ही मिले थे, उससे किस्मत ने मिला दिया. 
हो गए एक दूसरे के हमसफ़र, फिर ख्वाब ने हकीकत होना शुरू कर दिया.
ना मंजिल  थी ना रास्ते थे,ना ही कोई बात, 
बस दिल और रूह का एक सुकून था साथ.
इस सुकून ने रिस्ते को और गहरा बना दिया.
कुछ उम्मीद नहीं थी रिश्ते से, बस एहसास गहरा दिया . 
एक प्रेम कुछ उसके पास, कुछ मेरे पास था. 
दोनों ही चल रहे थे साथ, बिना किसी चाह के, 
चाह थी भी मगर बिना किसी राह के. 
मुस्किल क्यु हो जाता इस दुनिया में,
बिना नाम के रिश्ते को निभाना. 
जो ख्वाब हकीकत हुआ था, 
उसे पल-पल पड़ रहा था छुपाना.
किस को गुनाहगार समझूँ इस ख्वाब को तोड़ने का,
ख्वाब तो मेरा था मैं ही हकदार अब इस दर्द का. 
सुकून मिलता उससे ही, ये पता है मुझे,
पर बेबस हूं इतना की बता नहीं सकता उसे.
किस्मत पर छोड़ दिया है अब इस रिश्ते को. 


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