मेरे रास्तो का रुख जो आज तेरी तरफ है,


मेरे रास्तो का रुख जो आज तेरी तरफ है,
मेरे दिल की बैचैनी तबाह कर रहीं हैं मुझे.
चाह कर भी मे तुम्हें समझा नहीं पाउंगा,
मेरा जिक्र जो तुम्हें चुभता है आजकल.... 
मेरे कारण जो भी दिल को ठेस पहुंची है तुम्हारे,
खुद को चाह कर भी माफ़ नहीं कर पाउंगा.
दुआओं मे जो तुमने माँगा हमसे हमारी जुदाई,
पता है ना तुम्हें जीते जी पूरा नहीं कर पाऊँगा.
आज क्या तुम परेशान हो मुझसे...... 
मैं तो मुसाफिर तेरे आँगन का......... 
एक दिन सब छोडकर  चला ही जाऊँगा.
याद तो नहीं करोगे फिर उन किस्सों को,
बातो को उन यादो उन वादों को 
जो महफ़िल मे हुए थे कभी तुम्हारी.
चला गया तो लौट कर फिर नहीं आऊंगा
खुश हो जाना फिर तुम मेरे जाने पर... 😊
उजाला तेरा तुझे तेरा लौटाकर दूर कहीं. 
उस अंधेरे में कहीं मैं गुम हो जाऊँगा... 

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