चाहत ना रख कोई बात नहीं,
रिश्ता ना रख कोई बात नहीं.
पर जो था पहले कभी हम दोनों मे जो,
उन याद को कैसे भुलाउ ये बता तो सही.
तुम तो चली गए एक पल मे सब छोड़ कर,
मैं भी तेरी तरह बेग़ैरत कैसे बनूँ ये सीखा तो सही.
चल मान लिया तू मजबूर हो गए थी,
अपनी ख्वाहिशों के आगे,.
पर जाते जाते ये तो बता जाते,
मैं कभी तेरे ख्वाहिशों मे था क्या कहीं.
वक़्त के साथ तूने खुद के लिए मुझे तोड़ दिया.
क्या ये पहले से तेरी आदत थी,
या मेरे से शुरुवात ये नई। बता तो सही.
कहते हो कि अब वक्त नहीं हो पाता एक पल का
हाल ये दिल बयां करने और सुनने का,
पर रात रात जो घंटे रहती ऑनलाइन
किसके लिए ये बता तो सही.
बड़े फिक्र जता कर कह गए थे....
अब कभी मरने की बात करी तो बात होगी नहीं.
अब जो हूं मैं जिंदा फिर भी पल पल मुझे सता रहे हो .
ऐसे जिन्दगी से तो सुकून की मौत ही सही.
हुनर है तुझमे जो बना कर तोड़ जाने का रिस्ते,
ये अभी भी चल रहा है या थम गया ये बता तो सही.
0 Comments