रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे


रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे.
कोई भाग रहा सब. ख्वाहिश पूरी करने मे,
कोई परेशान है खुद का वजन कम करने मे.
किसी के माथे मे पैसा कमाने की सिरकन, 
किसी को   है टेंशन लोन की किस्त ना देने पाने में.
रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे.

फुर्सत की सबको कमी होने लगी, 
ख्वाहिशों की उम्मीद जो बड़ने लगी. 
झूठ, नफा - नुकसान चालाकी से रिश्ते सब निभा रहे,.
बस जिसकी जरूरत जब तक वहीं तक साथ आ रहे. 
दोस्ती नहीं अब लोग रिटर्न ढूंढ रहे, 
रिस्तों को भी अब म्यूचुअल फंड सोच रहे . 
रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे.

वक्त एक वो था जंहा साथ निभाने की कसमें होती थी,
रिश्ता कैसे बचे उसकी दिन रात कोशिस होती थी, 
कभी लड़ना, रूठना और मानना ऐसे किरदार होते थे. 
ये सब अब फेसबुक, इंस्टा के स्टैटस मे लगने लगे. 
व्यू, लाइक, कमेन्ट उनसे  रिश्ते की अहमियत लगा रहे . 
विचित्र दौर आया स्टैटस मे लाइक कमेन्ट कितने , 
इससे रिश्ते की जरूरत का आकलन लग रहा. 
ब्लॉक और अनब्लॉक का खेल से अब रिश्ता निभ रहा. 
रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे.

दोस्ती नहीं अब पार्टी, और पैसों से साथ देखा जाता, 
कितना दिखने में है गुड लुकिंग इससे साथ रखा जाता।
चार लोगों मे कहीं स्टैटस ना हो खराब , 
ऐसे दोस्तों को ऐसे ही रखा  जाता है. 
अछा हुआ सुदामा-कृष्ण इस दौर मे ना थे, 
वर्ना उन्हें भी अनप्रैक्टिकल कहा जाता. 
प्रेक्टिकल बनो यह कह कर रिश्ता तोड़ा जाता ।
उनके रिश्ते को बस नफा नुकसान से देखा जाता, 
सुदामा को चालाक अजीब कृष्ण को बेवक़ूफ़ कहा जाता. 
 दोस्ती नहीं दोनों का बेमेल सा रिश्ता कहा जाता. 
रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे.













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