तुम जो कहते हो चलो अब सब ठीक करते हैं,
पुरानी सब बातों को भूल नई शुरुआत करते हैं.
पर कैसे करू फिर से यकीन की
फिर तुम वैसा ना करोगे.??????
जब मर्जी पास रहोगे, जब मर्जी दूर करोगे.???
जो बीते मेरे साल क्या उन्हें तुम वापस दिला पाओगे,
हर रात मरा हूं क्या वो दर्द मिटा पाओगे???
जिस तरह बीते पलो मे तुमने मुझे मारा है,
क्या वो मेरी जिन्दगी फिर मुझे दिला पाओगे.??
क्या मेरे वो सब त्यौहार वो दिवाली, वो होली,
और वो बिता साल लौटा पाओगे...???
जिस पल सब के साथ मे भी अकेला था मैं,
क्या मेरा वो अकेलापन लौटा पाओगे???
क्या लौटा पाओगे मेरे वो आंसू मेरे वो रातों की जगन??
कितनी आसानी से कह दिया फिर से तुमने
चलो नई शुरुआत करते हैं..........
काश कि शुरुआत कभी तुमने रिश्ते बचाने की कि होती.
काश कि शुरुवात तुमने मुझे समझ पाने की होती.
काश कि तुमने एक लफ्ज़ आज भी.....
मेरे उस बीते दर्द के बारे में कहा कुछ होता...
समझ सकती हू में माफ़ कर दो....
इतना कह कर नये शुरुआत के लिए कहा होता..
तो आज तुम्हारा ये कहना बेईमानी सा नहीं लगता.
तुम्हारा रिश्ता मुझे झूठ और फरेब सा ना लगता.
रहने दो अब मुझ पर तरश क्यु दिखा रहे हो,
मुझे पता है अब मेरी हालत देख कर
थोड़ा पिघल से रहे हो..........
पर जरूरत आज भी मुझे उस प्यार की थी,
उस अह्सास की थी जो हालात को देख कर नहीं बदलता....
शायद ही तुम्हें कभी वो एहसास होगा,
तुम आज भी खुद के लिए ये शुरुवात करने आ गये,
बात बिगड़ कर कहीं इल्जाम तुम ना हो
इसलिए सुधारने आ गए???
बेफिक्र रह तू अब भी बीते उन बीते सालो की तरह,
अब हम उस दौर से काफी आगे निकल आये.
सच भी तुम्हारा अब झूठ सा लगता है,
दर्द भी तुम्हारा अब फरेब सा लगता है.
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