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क़िस्मत का मारा ऐसा ! हंसना छोड़ो कब खुल कर रो पाऊंगा।।
मिलूंगा जब तुमसे रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
मेरा आना किसी के लिऐ तबाही लायी।।
ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।
ज़िंदगी ढूंढ ही लेगी, फिर से नया बहाना जीने का।।
तुम्हे चाहने की जो हमसे खता हो गयी ।।
हमको क्या खबर थी की तुम यूं आओगे,                             आकर जिन्दगी का मेरी एक हिस्सा बन जाओगे।।
अच्छा हुआ जानी जो तू मेरा ना हुआ,
बड़ा प्यारा लगता ये सावन का मचलना।
कसमकश ये कैसी ये कैसी है उदासी , बिन तेरे जिंदगी क्यों लगती आधी।
छोटे छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,कभी किसी को अपना कह ना सके हम।
मैं मेरी कलम और डायरी
मेरी किताब
एक पल में अपना बन कर लोग कुछ आते हैं।इक पल में ही पराया कर चले जाते है।
रिश्ते अब संसार मे खोने लगे,दोस्त अब थकने लगे
Gulzar Poetry कुछ अह्सास गुलजार के कुछ हमारे.
जिंदगी की कशमकश
तुझ बिन रह नहीं पाता हू ☺️☺️
कुछ अनकही बाँते
ये मन मेरा मन सुनता नहीं मेरी
वो आखिरी वज़ह ही जुदाई की ख़ुश रहने दो बता गया है
हम साथ - साथ है. बस कभी साथ ना छोड़ना .
ये हक मुझसे मत लिया करो
मेरे रास्तो का रुख जो आज तेरी तरफ है,
तेरे लिए जो कोई बात नहीं मेरे लिए वो मेरी साँस रही
अब ये रात भी नहीं सो पाती हैं
तुम जो कहते हो चलो अब सब ठीक करते हैं,पुरानी सब बातों को भूल नई शुरुआत करते हैं.
मैं अकेला मै अकेला
मेरी धड़कन मे बसी तुम वो साज बनके.
बिखरा सा हूँ अब बहुत,सायद अब समेटा ना जाऊँ.
Only One wish for love