अच्छा हुआ जानी जो तू मेरा ना हुआ,

मिले जो उनसे हमको एक अरसा हो गया,
एजी देखें उनको हमे जमाना बीत गया।
फिर भी ओ जानी तू क्यों भुला नहीं जाता,
जख्म दिया तेरा हर एक भुलाया नहीं जाता।।
अब तो मेरे तू ख्यालों से तो जा,
आंखे जब करू बंद जानी अब सामने ना आ।।

अब और क्या दूं तुझे सब तो दे बैठा,
जो थी ना तेरे काम की वो मोहब्बत भी लुटा बैठा।।
यूं बाजारी जो तुम रिश्ता करा गए,
अरे कोठे सी मोहब्बत हमारी बना गए।।
एक पल मे तू इतना बेगरत जो हुआ,
अच्छा हुआ जानी जो तू मेरा ना हुआ,
अच्छा हुआ जानी जो  तू मेरा ना हुआ।।

ये रोज रोज जो तुम ख्वाइश बदलते हो,
जरा इतना तो बतलाओ  खुदा से नी डरते हो।।
कितना खुश अब तू जमाने मे दिखता,
अजी लगता है अब तू हर रोज प्यार बदलता ।।

जितनी मोहब्बत तुझसे कर बैठे थे हम,
अब उतनी नफरत का ये दिल क्यू नही करता।।
आज भी जानी तू याद जब आती है,
तेरी वो झूठी हर बात मुझे पल पल सताती है।।
जिस तरह हम अब नीलम खुद मे हो बैठे,
नशे का अब हम खुद का बाजार बना बैठे।।

अच्छा हुआ जानी जो तू मेरा ना हुआ।।







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