छोटे - छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,
उन लम्हों को अपना बना ना सके हम।
किसे कहे अपना तू साथी मेरा है,
किसे कहे दोस्त तू यार मेरा है।।
जैसे ही किसी को अपना समझते हम,
उस पल से ही वो बदल जाते एकदम।
मिले तो बहुत हमे अपना कहने वाले,
पर किसी को अपना बना ना सके हम।
छोटे छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,
कभी किसी को अपना कह ना सके हम।
किसे कहे दर्द तू सुन ले मेरा,
किसे कहे यार तू हमदर्द है मेरा।।
बाते की सबने यांहा , साथ है निभाने की,
साथ है हम चाहे नजर लगे जमाने की ।।
अब वो बाते ही बनी फ़िर याद उन लम्हा की,
दर्द भी आंसू भी और फरियाद उन लम्हा की।।
छोटे छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,
कभी किसी को अपना कह ना सके हम।
भूल जाए उनको ऐसा कर ना पाए हम,
भूले अपना कहकर ऐसी दवा बना ना पाए हम।
ढूंढे दिल मेरा उन अपना कहने वालों को,
साथी साथ रहना हमेशा ऐसा , झूठे वादे का जहर देने वालो को।।
छोटे छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,
कभी किसी को अपना कह ना सके हम।
आए वो नजर तुम्हे कहीं पूछना जरा,
अपना कह के छोड़ गये हमे अजी कोन थे हम।।
हाल तो सही तुम्हारे उनका जरा ये हाल ले लेना ,
बदलते कैसे पलभर में ये मेरा सवाल दे देना।
सवालों का सच्चा जवाब वो दे जाए तो,
हमको भी उनका वो जवाब दे देना।
छोटे छोटे लम्हे बड़ा ना सके हम,
कभी किसी को अपना कह ना सके हम।
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