दिल तो करता बहुत कुछ, पर हालातों की मायूसी।
किस डगर किस राह को पकड़ ये जिंदगी बितायूं?
किस तरह तुझे अपना हमसफर बनाऊं,
यूं अभी तो साथ तेरा मुझे मिलना ये किस्मत पर छोड़ा,
तू क़िस्मत से ही तो था मेरी जिंदगी में मुझसे था जुड़ा।।
कसमकश ये कैसी ये कैसी है उदासी ,
बिन तेरे जिंदगी क्यों लगती आधी।
दूर तो नहीं मुझसे तू पर पास भी तो नहीं ऐसा,
क्या करू इस बैचनी का, कोई मरहम तो बता।।
हां जानता हूं मैं बिन तेरे ये जिंदगी आधी सी होगी,
पर पूरी करू संग तेरे ये किस्मत वो राह तो दिखा।
राह ये अभी तो मुझे पता नहीं किस डगर ले जा रही,
जिस तरफ भी बड़ा रहा कदम राह खतम नज़र आ रही।।
कसमकश ये कैसी ये कैसी है उदासी ,
बिन तेरे जिंदगी क्यों लगती आधी।
चाहत का ये दर्द, ये रिस्तो मे दुरी,
पास तुम आए तो कही हो रही ये अधूरी।
किसे करू पूरा ये समझ ना पाऊं,
कोई राह तो की सब सही कर जाऊं।।
पास तू रहे मेरे अपने भी ना रूठे,
काश की देखू जो ये सपना वो ना टूटे।।
टूट सा रहा हूं पर बंया किसे करू ,
बोलूं जिसे तो फिर कोई रूठे तो कोई टूटे।।
कसमकश ये कैसी ये कैसी है उदासी ,
बिन तेरे जिंदगी क्यों लगती आधी।
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