आकर जिन्दगी का मेरी एक हिस्सा बन जाओगे।।
चाहत से भी अधिक चाहत बन कर तुम,
बिना बात यूं ही चले जाओगे।।
ना रूठे हो ना छोड़े हो,
फिर भी मिलों दूर तुम खड़े हों ।।
दिखते तो हो पास अब भी मुझे तुम,
पर अब रेगिस्थान के वो मरीचिका बने तुम।।
जो दिखे तो पास की अब पा लेंगे हम,
पर असल में कोसो दूर खड़े हो तुम
हमको क्या खबर थी की तुम यूं आओगे।।
अब आ ही गए थे ! तो कुछ पल रुक ही जाते,
कुछ पल ठहर कर तुम हम दम बन जाते।।
हां ये तो सच की पता नहीं लगा कब तुम खाश हो गए,
और अब ना जानें कब खाश से तुम काश बन गये।।
हम तो यूं खुश है तेरे यूं जाने पर भी सायद,
जैसे बिन कस्तूरी के मृग और बिन स्याही के कलम सायद।।
हमको क्या खबर थी की तुम यूं आओगे,
आकर जिन्दगी का मेरी एक हिस्सा बन जाओगे।।
जानें की वजह वैसे तो खाश बता गये ,
अब कैसे कहे की लौट तुम भी आओ,
आकर फिर से वहीं हमदर्द बन जाओ।।
मुस्किल है तुम्हारा भी हमारा यूं साथी बना रहना,
बेवजह हमसे आकर यूं जुड़ा रहना।।
खबर तो हम तुम्हे दे ना पाये ,अपने यूं टूट जानें की ।।
बिन तुम्हरे बेवजह सी जिन्दगी बिताने की,
चले जानें के साथ ये वजह भी ले जाते।।
अपनी सभी वो यादें मिटा जाते,
कर जाते हमे यूं पहले जैसा,
काश की तुम लौट आते..........।।
हमको क्या खबर थी की तुम यूं आओगे,
आकर जिन्दगी का मेरी एक हिस्सा बन जाओगे।।
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