करते करते ये उम्र बीत जानी है।।
मिलूंगा जब तुमसे तेरे घर पर,
रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
क्यो इतना मेरी खुशियों से जलता है तू,
ये बात तुमसे ही कहलवांनी है।।
मिलूंगा जब तुमसे रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
क्या रजा तेरी मेरी ज़िन्दगी को,
क्यू ऐतबार से मुझे ही देखता।
चाहत तो पहले ही ले गया था तू मेरी,
अब मेरे दोस्त भी नही छोड़ता।।
जब कभी उठ खड़ा होता हूं,
तू फिर से मुझे बेसहारा कर देता।।
मेरा बचपन मेरी जवानी और मेरा प्यार भी सब ले गया।।
तब भी मै उठ खड़ा हुआ था की तू अब सहारा देगा,
पर मुझे ना पता था तू अब भी मुंह मोड़ लेगा।।
मिलूंगा जब तुमसे रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
इस बार तू मेरा ये खुदा खुद से विश्वास ले गया,
तुझसे शिकायत करने के मेरे वो आंसू भी पी गया।।
अब सुखी आंखों से क्या तुझे दर्द मेरा दिखेगा,
जब थे नैन मेरे आंसू मे भीगे तब ना जो दिखा।।
कब रुकेगा तेरा ये मुझे , यूं हंस हंसा कर रुलना।।
मुझे रुलाना ,गिरना और खुद मे ही तड़पना।।
मिलूंगा जब तुमसे रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
अब फिर से जा रहा में तेरे उन विरानो मे ,
अब उम्मीद का आखिरी हिजर् भी दे रहा तुझे।।
इस बार का दर्द तू अंदर रूह तक दे गया,
ना जाने क्यों इस बार मेरा तुझसे विश्वास ही टूट गया।।
अब ना देखेगा तू मेरे हसने के बहाने,
क्युकी इस बार तू मेरी उम्मीद ही ले गया।।
मिलूंगा जब तुमसे रब सब बात तुम्हे बतलानी है।।
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