ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।


ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।
एक दोस्त सच्चा पाऊं कहा से।।
पल पल मरते जा रहा हूं 
फिर भी तो मैं जिए जा रहा हूं।।
गुस्ताख़ ये यकीं की ये सजा पाऊं कहा से।।
लड़ तो जाऊं तूझसे ये मेरी किस्मत लिखने वाले,
पर साथ मेरे जो पीछे खड़ा हो उस पल,
साथ देने वाला साथी ऐसा लाऊं कहा से।।
ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।

रात को दिन बनाऊं कहा से,
अपने जज़्बात बताऊं कहा से।।
सुनने और समझाने के लिए,
एक प्यारा दोस्त हम साथी लाऊं कहा से।।
ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।

सुन ये मेरी किस्मत लिखने वाले,
मुझे हर पल नए दर्द देने वाले।।
मुशिकलो में डाल कर खुश होता तू बहुत,
कोई तो बताएं तुझे सजा दिलाऊं कहा से।।
ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।।

सच है की मैं इस दुनिया में फस सा गया,
काली घनी रातों मे कहीं घिर सा गया ।।
इन अंधेरे में उम्मीद के जुगनू को छिपाऊं कैसे ,
रास्ते तो बहुत हैं निकलकर भाग जानें को,
पर ये तो बता निकलकर जाऊं कहा को ! ??
मेरी किस्मत लिखने वाले ये तो बता,
तुझे सजा दिलाऊं कहा से !
ऐसी तकदीर लाऊं कहा से।। 



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