तुम्हे चाहने की जो हमसे खता हो गयी ।।

तन्हा राते ही अब मेरी साथी हो गयी,
तुम्हे चाहने की जो खता हो गयी ।।
समझाया सबने मगर ये दिल माना ही नही,
ये भूल जो मुझसे बड़ी हो गयी।।
रोका क्यू ना था मैंने दिल को अपने,
क्यों देखें थे की तुम रहोगी ये सपने।।
सपनों की अब मेरे इंतिहां हो गयी
तुम्हे चाहने की जो खता हो गयी ।।

दिल से दूर होकर तुम अब और जरुर हो गयी,
पहले तो थी खाश पर अब आस हो गयी।।
जिन्दगी का एक मेरी तुम ऐसा पल हो गयी,
पल से हटकर कर जिन्दगी का मेरी सबकुछ हो गयी ।।
मान लिए था तुम्हे अपना रहबर,
इस बात से थी तुम बेखबर।।
बेखबरी  बेदर्दी तुम्हारी यूं  ऐसी  खबर बन गयी,
जो अब हर किसी के लफ्जो से बंया हो रही 
हां तुम मुझसे अब दूर हो गईं, 
हां मुझसे अब दूर हो गईं।।
तुम्हे चाहने की जो हमसे खता हो गयी ।।

दिल में नही है तेरे रंजिसे,
हां मालूम है तेरी कुछ बंदिशे।।
तेरी ये बंदिशे मेरे लिए सजा हो गईं,
तुम्हे अपना समझने की खता हो गई।।
क्या इरादा था तुम्हारा अब हमे बता दें,
क्यों इस तरह हमसे साथ छोड़ा समझ दे।।
माना की समझ मेरी उस काबिल नही,
पर तेरे यूं जानें की वजह बेवजह ना सही।।
मेरे लिए ना सही मेरे दिल के लिए बता दे ,
ज़िंदगी मेरी बिन तेरे वीरान हो गईं।।।
तुम्हे चाहने की जो हमसे खता हो गयी ।।









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