तुम्हे मिली है जिंदगी सच दिखाने को। तो क्या तुम जूठ भी दिखाते हो।।


तुम्हे मिली है जिंदगी सच दिखाने को ,
तो क्या तुम जूठ भी दिखाते हो।।
मिली जिंदगी तुम्हें साथ निभाने को,
क्या तुम साथ भी छोड़ चले जाते हो।।
मिला है एक जन्म लोगों को हंसाने का,
क्या तुम उन्हें भी रूला जाते हो।
फिर कब अपने इन कारनामो को सही करोगे,
इस जिंदगी में किया नही क्या फिर मर के करोगे।।
कोशिश भी नही तेरी क्यों इस तरह जी रहा,
किस चाह मे तू ये जिंदगी जी रहा।।
ज्यादा की चाह मे अभी को छोड़ कर,
मिले हुए को क्यों इतना कम समझ रहा।।
तुम्हे मिली है जिंदगी सच दिखाने को ,
तो क्या तुम जूठ भी दिखाते हो।।

खुद की खुदगर्जी को नाम मजबूरी का देकर,
क्यों तू इस तरह हर किसी को ठग रहा।।
क्या करेगा इस मिले हुऐ खुशी के पल का,
जब किया हो कत्ल तुने किसी के दिल का।।
आज नही तो कल वक्त खुद को दोहराएगा,
तू भी कभी कहीं ठोकर खायेगा।।
ये वक्त है जिन्दगी का सबक सिखाएगा,
चाह कर भी कर लें जतन पर बच नहीं पायेगा।।
तेरा कल का किया कभी ना कभी ,
इसी जिंदगी मे वापस आयेगा।
तुम्हे मिली है जिंदगी सच दिखाने को ,
तो क्या तुम जूठ भी दिखाते हो।।


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