सही कहा सबने मैं बदल सा गया हुं।।




एक पल लगता सब सही हो गया,
ना जाने दुजे पल सब फिर बदल जाता।।
रुक रुक कर चलने की आदत भी हो गई,
ना जाने फिर भी मन कंही क्यों लग नही पता।।
बस अब लोग कहने लगे है मुझे मै बदल सा गया हुं,
थोडा गुस्सैल और घमंडी ना बोलने वाला हो गया हुं।।
सुनता हूं उन सबकी बांते, हां वो गलत नहीं है ,
सही कहा उन्होंने मैं बदल सा गया हुं।।

पता नहीं किसलिऐ इतना बदल गया हुं मै,
खुद से ही रूठा खुद मे ही टूट गया हूं मैं।।
आती नही अब हिम्मत किसी से खुल के बात करने की,
ना जाने अंदर से ही कितना बंध गया हूं मैं।।
धीरे धीरे ही ये खामोशी मुझे बदल ही डाली,
मेरे अपनो के लिए ही अजनबी सा हो गया हूं मैं।।
सही कहा सबने मैं बदल सा गया हुं।।


पता ही नहीं लगा इस दौर मे पहुंचने का,
धीरे धीरे ही इस भंवर मे घिर गया मैं।।
शोर सी क्यू लगता अब लोगों की बांते,
बकवाश झूठी सी लगती अब सब बांते।।
कोई फिकर से भी कहता क्या हाल बना बैठे हो,
बकवास सिर्फ़ बकवास जूठी लगती उनकी बांटे।।
डर सा लगता अब किसी से बांते करने में,
मन सा उखड़ता किसी के अब साथ देने में।।
दुनियां नही मुझे अब ये तमाशा लगने लगी,
ख़ुद की परवाह फिक्र करने की मतलबी सी।।
सब बुरे नही अब भी पर मैं मान बैठा हुं,
सही कहा सबने मैं बदल सा गया हुं।।



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