आंसू देख ले ना मेरे कोई शब्दों के जाल मे, आंसू को सुखा कर कलम की स्याही बनाएं जा रहा।।




गम तो गम फिर भी जिए जाना है,
हंस हंस कर हर किसी को दिखाना है।।

बुरे हालात बुरे चहरे कहा किसी को रास आते,
लोगों को चहरा रंग बदल कर दिखाना है।।

पूछता है यहां हर कोई क्यू रिश्ते मे ये बता,
रिश्तों को आजकल शक की निगाह से देखा जाता।।

क्यों कोई जुड़े हमसे बीना किसी मतलब के,
आजकल मतलब से ही साथ चुना जाता हैं।।

बदलू अब कैसे ये रंग मिजाज मेरे,
मुझे तो अब ये कहा समझ आता हैं।।

ना अब किसी को करूंगा परेशान,
खुद की तकलीफ़ अब हंसके छुपना है।।

घूम कर खुद को ले आया हूं फिर से वहीं 
अब किसी को दर्द अपना नहीं बताना हैं ।।

हालात पूछने के लिए नही पूछता किसी के,
हर रिश्ते को दिल से निभाना आता हैं।।

दूर जा रहा हूं अब सबसे बिना किसी बात के,
बातों को अब खुद मे दबा कर जिए जा रहा हूं।।

लिखने के लिए जज्बात हैं बचे थे थोड़े,
धीरे धीरे शब्दो को भी दफन करे जा रहा।।

आंसू देख ले ना मेरे कोई शब्दों के जाल मे ,
आंसू को सुखा कर कलम की स्याही बनाएं जा रहा।।












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