अब किस किस बात पर करू यकीन,
किस को कहूं की फिर से टूट गया,
जो था मेरा अपना वो मुझसे छूट गया।।
ना जाने क्यूं मेरे ही हिस्से मे ये आता,
हर बार मैं ही खुद को अकेला हूं पाता।।
तुम भी छोड़ गये.....
अब भी मैं कैसे खुद को क्यों ना टोकू,
मैं बना नहीं लायक इस क्यों ना खुद को कोसू।।
अब नहीं तुमको भी बार बार ये कह रुलायूंगा,
बात करो अपना कहो ये जिद ना दोहराऊंगा।।
अनजान बने गर तुम खुश हो तो,
मैं भी अनजान हो जाता अब।।
खुशी तेरी जिसपे हर बार वो समझौता कर ही जाता हूं,
तुम भी छोड़ गये ये ही अब ख़ुद को बतलाता हूं।।
काश की ऐसा होता काश की वैसा होता,
ये सपने देखने का मेरा हक नहीं।।
क़िस्मत ही रूठी मेरी मुझेसे,
किसी से रूठने का ऐसी मेरी क़िस्मत नहीं।।
रूठ कर बैठ जाऊंगा कौन आकर मुझे मानने वाला,
कितना भी टूट जाऊंगा कौन मुझे समेटने वाला।।
इस क़दर कहा मे जुड़ा किसी सै,
की कोई समझे मेरे हालातो को।।
तुम समझते थे मुझे पर बात यहीं सवालों को,
कुछ दिन मे वैसे भी सब कुछ ठीक कर जाऊंगा,
सब रहो दूर रूठे मुझसे मैं फिर कहा नजर आऊंगा।।
काश की इस वक्त वो रिस्ते मेरे होते,
जिन्हे रखा दिल से भी क़रीब काश वो हिम्मत देते ।।
पर होगा कुछ जरूरी उनका भी मुझ बेकार से ज्यादा,
अब कोई मेरे लिऐ क्यों जरूरी को खो दे।।
हसीं रहे खुशी रहे तेरी जिन्दगी, हर पल हर गम से,
दूर रहें तेरी जिंदगी............
शब्द आखरी मेरे ये आखरी अल्फाज मेरे,
बहुत दर्द तकलीफ दी तुम्हे ,
बेवजह वजह बन रहा मै तुम्हारे लिऐ,
हो सके तो माफ करना मुझे इसके लिए ।।
अब ना तूझे दर्द देने आऊंगा अब पास तेरे ।।
रह लूंगा ऐसे ही खुद को बैचेन कर,
गलतियों की मेरी सजा हो सके तो माफ कर।।
याद हर वक्त हर बात अब भी तुम्हे ही बताऊंगा,
पर फर्क इतना होगा की अब नहीं जतलाऊंगा।।
खुश रहना तुम,,,,,,,,,,,,,,,,,,
तुम भी छोड़ गये.......... मेरे हालत देखकर
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