आंखों मे आंसू तो छुपा लेता हूं दिन मे, पर ये रात को दर्द भुलाऊं तो भुलाऊं कहा।।



सब भुल जाऊं तो जाऊं कहा,
पलकों से अपने इस दर्द को छुपाऊं कहा।।

आंखों मे आंसू तो छुपा लेता हूं दिन मे,
पर ये रात को दर्द भुलाऊं तो भुलाऊं कहा।।

काश की ये रात ना होती,
ये अपनो की यादें ना होती।।
दिन तो गुजार लेते खुद को मिटा कर,
काश की रातों मे भी दिन जैसे कोई बात होती।।

यूं हर जगह मे खुद को भुला कर,
कब तलक खुद को धोखा देना।।
यूं नजरो को आईने से  फेर मुझे,
मैं जी लूंगा कब तक खुद को कहना।।


आश मेरी ना जाने क्यों काश रह जाती,
हर मोड़ मे ये जिंदगी तू मुझे ही क्यों सताती।।
देख मुझे तू उठता संभलता,
क्यो मुझे नजर लगाती।।
देती सहारा मुझे लोगो को पास बुला कर ,
फिर ना जाने क्यों मुझे उनसे तू दूर कराती।।



Post a Comment

0 Comments