सब खत्म नहीं होता, कोई जुदा नहीं होता।।
छोड़ के चले जाने वाला, हर कोई बुरा नहीं होता।।
बस कुछ बात मन जाती, किसी की बात ठन जाती।।
किसी की मजबूरी कभी सजा दूरी ही बन जाती।।
नही तो कौन शख्स इतना खुदगर्ज है होता,
जिसे दिल से हो माना अपना वो जुदा नहीं होता ।।
जरा सोचा जो उनके लिए ,जरा देखा उनके लिए,
तभी लगा की हर कोई मुजरिम नही होता ।।
जो होता हैं अपना, वो अपना ही रहता।।
कभी शब्दो के कहने से भी रिश्ता खत्म नही होता।।
सब खत्म नहीं होता, कोई जुदा नहीं होता।।
जो दिल से जुड़ जाता वो फिर गैर नही होता
ज़रा सा शाम होने दो, हमे अकेले रहने दो।।
जो कहना हो मन की बात,तब तन्हा तो रहने दो।।
तभी क्यों याद आते तुम, पता ना खाश ऐसे तुम ।।
तुम साथ ना अब मेरे, ना जानें ढूंढे तुम्हें फिर भी दिल।।
अरे तुम ख़ास होगे ना , मेरे हमराज होगे ना ।।
कहूं जो बात तुमसे सभी ,वो मेरे यार होगे ना।।
अभी भी याद आते तो कभी रुलाते भी तो।।
रूला के हसीं लफ्जो में जो आती, वही तो याद तुम।।
तभी तो पास ना तुम, अभी साथ ना तुम।।
बात फिर भी तुमसे ही करू अभी भी वो यार तुम ।।
सब खत्म नहीं होता, कोई जुदा नहीं होता।।
जो दिल से जुड़ जाता वो फिर गैर नही होता ।।
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