रात इरादा करके सोए, आज हम सो जायेंगे।। कल देखते ये कह खुद से, मैं फिर से जाग गया।।


रात इरादा करके सोए, आज हम सो जायेंगे।।
इन थकी आंखों को, आज सपने दिखाएंगे।।
अब बहुत हुआ इन यादों मे रातों को जगना,
आज तो हम सब भूल गहरी नींद सो जायेंगे।।
अब ना इन यादों से, मन को अपने रुलायेंगे 
रात इरादा करके सोए, आज हम सो जायेंगे।।

हुआ इरादा पक्का, मन भी पत्थर सा कर डाला ,
आज हमने सोना हैं, ये ख़ुद से करा वादा।।
फिर इन आंखों को बंद कर, नींद को सजोने लगे।।
हो कुछ भी आज, ये कह,  हम आज सोने लगे।।
आंखों मे जब नींद की खुमारी आने लगी,
खुश हुआ मन की आज नींद आने लगीं।।
फिर क्या था हम सो से गए,
एक ऐसे सपनो में खो से गए।।
रात इरादा करके सोए, आज हम सो जायेंगे।।

पर ये उदासी कहा हमे छोड़ने वाली थीं,
इतनी जल्दी कहा हमको चैन देने वाली थीं।।
सपनों मे भी बीते वक्त आने लगा,
उठते हुऐ से ज्यादा ये स्वप्न ,नींद मे डराने लगा।।
नींद फिर कहा नींद सी रह गयी।।
ये तो फिर कोई फिल्म सी हो गयी।।
फिर आंखों मे आंसू ले मै जाग उठा।।
ये नींद से अच्छी तो ये मेरा जगना सही,
आज मैं रात सोने का, इरादा फिर टाल गया।।
कल देखते ये कह खुद से, मैं फिर से जाग गया।।
रात इरादा करके सोए, आज हम सो जायेंगे।।


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