ये बेदर्द यादों से कह दो थोडा रुक जाएं ।।

ये बेदर्द यादों से कह दो थोडा रुक जाएं।।
यूं पास मेरे आ कर यूं ना तड़पाये।।
जिन तूफानो से हम अब गुजर रहे ,
उन तूफानो से यूं ना ये टकराए।।
 शिकायत हो तो  कही और बतलाये,
अब हम पर यूं अपना ना केस चलाए।।
हम तो पहले ही उन उन गुनाहों मे शामिल,
जिन गुनाहों का हम  पता ना कर पाए।।
ये बेदर्द यादों से कह दो थोडा रुक जाएं ।।

 सजा भी देनी है तो थोडा रुक जाए,
पहले  हम  बरी तो  हो जाएं।।
जी भर कर हम को फिर से तबाह कर लेना,
जो जो मन करे वो सजा फिर दे देना 
तबाह वीराने को करके क्या होगा?
अरे मजा टूटने का टूटे मे क्या होगा ।
ये बेदर्द यादों से कह दो थोडा रुक जाएं।।

तो सब्र करो थोडा  फिर  खेल लेना तुम,
पहले फिर से खिलौना तो बन जाए ।।
अब मजा सा आता है इन यादों से लड़ने मे,
थोडा थोडा करके पल पल घुटने मे।।
ये घुटन नही अब आजादी लगती क्यू,
आजादी अब ना जाने सजा सी लगती क्यों।।
जी भरकर हमको फिर से रूला तू देना,
थोडा पहले खुश होना तो सिख जाए।।
ये बेदर्द यादों से कह दो थोडा रुक जाएं ।।





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