सतरंगी होगी अतरंगी होगी या होगी वो भी चाह की दुनियां।।
जिंदा होंगे वहां भी लोग या खुद मे मर चुके होंगे,
यहां के जैसे ही या चाहत के भूखे हुंगे।।
बदलते रहते होंगे लोगों के हालात देखकर,
या वहां दिल से साथ चलते हूंगे।।
सुना है उस दुनियां मे खुदा तू भी रहता है,
यहां के जैसा ही है तेरा नजरिया वहां या है दूजा।।
हो सकता इस दुनियां से अलग तेरी वहां धाक होगी,
तुझसे की गई फरियाद वहां पुरी शायद होती हुंगी।।
उस पार मुझे भी तू इस बार के बहाने से बुला,
जो कर रहा अभी इसे पूरा जल्दी कर जा।।
मुझ में हिम्मत इतनी ही की तुझे आंख दिखा सकूं,
उस पार मुझे बुला जरा मुझसे नज़रे तो मिला।।
मै भी जानू किस कलम से तुने मुझे इस क़दर लिखा,
मुझे उस बुला जरा वो क़िस्मत की कलम तो दिखा।।
कब तलक यूं जिंदा रख मुझे नाच नचायेगा,
टूट के पत्थर बन चुका हूं अब कब हथौड़ा चलाएगा।।
जल्दी कर ले तू भी मुझे भी उस पार अब आना,
बहुत हुई आंख मिचौली अब तुझे सब सुनना।।
तू भी तो देखे क्या गलत मे ऐसा किया,
बिना मतलब के मुझे तुने क्या से क्या कर दिया।।
भीगी आंखे मेरी फिर भी ना जानें क्यों चुप कर जाती,
दुनियां सही मै हूं कहीं और ये समझाती।।
अभी और भी कुछ बचा तेरा हिसाब तो वो भी कर ले,
उस दुनियां मे जाने से पहले ये खाता बंद कर दे।।
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