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एक धुंध की देरी दी आने की बस ,                                          हर कोई आंखों से ओझल गया।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,                                  दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
अब लिखने के लिए शब्द भी है
अब तो बदल लूं खुद को ये कहा हो सकता,                            बस हर दिन खुद को ही दोस्त बना ,                                      अब उससे अपनी ही बात कहता।।