बिना मतलब के मेरी हंसी क्यों थम ना रही हैं।।
हर बात ना जाने क्यो अब समझ से परे लगती,
ये मेरी समझ क्यो दिन पर दिन मरती जा रही हैं।।
ये मेरी बात खुद से अब बढ़ती जा रही है,
ख्यालों की दुनियां भी विरान होती जा रही है।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,
दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
लपरवाह सा दिखने लगा हूं ये लोग कहने लगें,
बेपरवाह सा होने लगा ये सब बात करने लगें।।
किसी से नहीं वास्ता इसका दर्द अपनेपन का,
मुझे देख कर लोग आपस मे ये कहने लगे ।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,
दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
एक झलक भी जाने क्यों मुझे कोई उदास ना देख पाया,
वो दूर तक देखा मैने पर वो कोई ना लौट कर आया।।
राह की मंजिल मे हर निशान मेरे अब ऐसे छुट से गए,
सभी करीब दिल के जो वो सब के सब रूठ गये।।
खुशी की कौन पागल अब चाहत रखता यहां,
हम तो वो बीते लम्हों को ही खुशी मान कर बैठ गए।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,
दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
काश की आकर कोई दो पल साथ बैठ जाएं,
मेरी इस हंसी के पीछे का दर्द देख मुझे बताए।
फिर उस पल मे सब बात दिल की बता दूं,
मर गए आंसू को फिर से जगा दूं।।
सुख गई जो ये आंखें आंसू के इन्तज़ार मे,
उन्हे कोई मेरा भी अपना ये बता खुशी के आंसू से भीगा दूं।।
ये मुस्कान जो मेरी बढ़ते जा रही हैं,
दर्द को ये और अंदर से नासूर सा बना रही।।
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